जन -जन की अभिलाषा है यह हमारी राष्ट्रभाषा है। जन -जन की अभिलाषा है यह हमारी राष्ट्रभाषा है।
कर्म के अनुसार, उचित फल देता है। कर्म के अनुसार, उचित फल देता है।
राम हँसते हँसते वन चले गए कृष्ण हँसते हँसते मथुरा छोड़ गये राम हँसते हँसते वन चले गए कृष्ण हँसते हँसते मथुरा छोड़ गये
तू रहे न रहे जमाना ये ही कहे कृति ये जोअद्वितीय बने। तू रहे न रहे जमाना ये ही कहे कृति ये जोअद्वितीय बने।
कला का मंच ज़िंदगी रंगमंच कला का मंच ज़िंदगी रंगमंच
धनुर्धर बनने की कला लोगों को सीखना होगा ! धनुर्धर बनने की कला लोगों को सीखना होगा !